महाराष्ट्र :- महाराष्ट्र में नई शिक्षा नीति को लेकर जारी विवाद के बीच शनिवार को शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में हिंदी भाषा को जबरन लागू नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने साफ किया कि उन्हें हिंदी भाषा से कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन इसका ज़बरदस्ती थोपना ठीक नहीं है। मुंबई में भारतीय कामगार सेना के एक कार्यक्रम में उद्धव ठाकरे ने राज्य सरकार के फैसले का विरोध करते हुए कहा कि उन्हें हिंदी भाषा से कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन इसे जबरन पढ़ाने का फैसला सही नहीं है।
ठाकरे ने कहा कि हमें हिंदी से कोई परहेज नहीं है, लेकिन इसे स्कूलों में जबरन क्यों पढ़ाया जा रहा है? यह भाषा की बात नहीं, बल्कि जबरदस्ती की बात है। उन्होंने यह भी कहा कि महाराष्ट्र की मातृभाषा मराठी है और उसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम हिंदी के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन इसे बच्चों पर क्यों थोपा जा रहा है? महाराष्ट्र की अपनी मातृभाषा मराठी है और उसे सबसे पहले प्राथमिकता मिलनी चाहिए।
बता दें कि ठाकरे के इस बयान को राज्य सरकार के उस फैसले से जोड़कर देखा जा रहा है, जिसमें कक्षा 1 से 5 तक हिंदी को अनिवार्य तीसरी भाषा के तौर पर पढ़ाने की बात कही गई थी। इस फैसले का विपक्ष लगातार विरोध कर रहा है। उद्धव ठाकरे ने कार्यक्रम में मौजूद लोगों से मराठी भाषा, संस्कृति और पहचान की रक्षा के लिए एकजुट रहने की अपील की। साथ ही उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में भाषा के नाम पर किसी तरह की जबरदस्ती बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इससे पहले एनसीपी (एसपी) नेता और सांसद सुप्रिया सुले ने भी फडणवीस सरकार के इस फैसले का विरोध किया। उन्होंने कहा कि हाराष्ट्र में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी 2020) को जल्दबाजी में लागू करना ठीक नहीं है और अगर इससे मराठी भाषा को नुकसान होता है, तो यह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।