देहरादून:- भाजपा ने इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर कांग्रेस पर पलटवार कर झूठ और भ्रम फैलाने का आरोप लगाया है। प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर चौहान ने कहा कि 55 फीसदी राजनैतिक हिस्सेदारी के बावजूद हमे 30 फीसदी चंदा मिला है और मात्र 45 फीसदी हिस्सेदारी वाले विपक्ष को 70 फीसदी बॉन्ड मिले हैं। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने भी इलेक्टोरल बॉन्ड की नीति को कभी भ्रष्ट नहीं बताया है, बल्कि सूचना के अधिकार प्रावधान के साथ और बेहतर नीति इस्तेमाल करने की सलाह दी है।
इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर विस्तृत पक्ष रखते हुए चौहान ने कहा कि पूर्व मे लगभग 20 हजार करोड रुपए के इलेक्टोरल बॉन्ड जारी हुए थे, जिनमे भाजपा को लगभग 6000 करोड़ लगभग के बांड मिले हैं। लेकिन हैरानी है कि शेष 14000 करोड रुपए के बॉन्ड जिनके पास है, वह हल्ला मचा रहे हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि अब तक आंकड़ों में स्पष्ट है कि भाजपा को बॉन्ड का मात्र 30 फीसदी हिस्सा प्राप्त हुआ है। भाजपा के लोकसभा में 303 सांसद , 17 राज्यों में पार्टी सरकार में हैं, जिसमें 12 राज्यों में अकेली भाजपा की सरकार है। साथ भाजपा विश्व की सबसे बड़ी पार्टी हैं जिसके 13 करोड़ सदस्य हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात है कि विश्व का सर्वाधिक लोकप्रिय नेता नरेंद्र मोदी हमारे पास है।
वहीं एक राज्य में सरकार रखने वाली टीएमसी को लगभग 1600 करोड रुपए मिलना, मात्र 9 फ़ीसदी राजनीतिक हिस्सेदारी रखने वाली कांग्रेस को 1400 करोड रुपए मिलना और इसी तरह डीएमके एवं अन्य विपक्षी पार्टियों को मिला इलेक्टोरल बॉन्ड पहले ही उनकी राजनीतिक ताकत से कई गुना अधिक है। उन्होंने कटाक्ष किया कि कांग्रेस भाजपा को मिले इलेक्टोरल बांड को वसूली कह रही हैं तो उन्हें अपनी पार्टी को बॉन्ड से मिले 1400 करोड रुपए की जानकारी भी देनी चाहिए कि उनको उन्होंने कहां कहां से वसूले हैं। उन्होंने इलेक्टोरल बॉन्ड पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर स्पष्ट किया कि न्यायालय ने कभी भी इसे भ्रष्टाचार या गड़बड़ी वाली प्रक्रिया नहीं ठहराया। न्यायालय ने कहा कि सूचना अधिनियम अधिनियम 19(1) के कुछ नियमों का अनुपालन इस प्रक्रिया में संभव नहीं है इसलिए इसको पॉलिसी को जारी नहीं रखा जा सकता है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में यह भी स्पष्ट कहा कि बेशक यह प्रक्रिया चुनाव में काले धन का उपयोग रोकने के मकसद से लाई गई हो। लेकिन और भी कई अन्य तरीके काले धन का उपयोग रोकने के लिए इस्तेमाल किए जा सकते हैं। लिहाजा कांग्रेस और विपक्ष सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय गलत तरीके से पेश कर जनता में भ्रम फैलाने की राजनीति कर रही है।