पंतनगर जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के 35वां दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु हुईं शामिल

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू आज से तीन दिवसीय दौरे पर उत्तराखंड पहुंच गई हैं। देहरादून एयरपोर्ट से लेकर गढ़वाल और कुमाऊं में पुलिस-प्रशासन की टीमें सुरक्षा व्यवस्था को लेकर अलर्ट हैं। उनके कई स्थानों पर कार्यक्रम आयोजित किए जाने हैं। सुबह वह सबसे पहले पंतनगर विवि के दीक्षांत समारोह में पहुंचीं। शाम को वह देहरादून के लिए रवाना होंगी।

पंतनगर के जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के 35वां दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुईं। इस दौरान राज्यपाल ले. जनरल (सेवानिवृत्त) गुरमीत सिंह, सीएम पुष्कर सिंह धामी, रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट और कृषिमंत्री गणेश जोशी भी कार्यक्रम में मौजूद हैं। इसके साथ ही कुलपति बीएस चौहान ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के सामने विवि की रिपोर्ट प्रस्तुत की।

इस दौरान कुलपति ने कहा कि शिक्षा, अनुसंधान और प्रसार में अपने अहम योगदान के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली द्वारा दिए जाने वाले प्रतिष्ठित “सरदार पटेल आउटस्टेंडिंग इन्स्टीट्यूशन” सम्मान से विवी को तीन बार सम्मानित किया जा चुका है। इस उपलब्धि के अलावा विश्वविद्यालय आई.सी.ए.आर. रैंकिंग में देश के कृषि विश्वविद्यालयों के बीच लगातार शीर्ष स्थान पर रहा है।

पंतनगर विश्वविद्यालय द्वारा स्थापना से अबतक 42911 से अधिक विद्यार्थियों को उपाधियां प्रदान की गई हैं। विश्वविद्यालय द्वारा विकसित विभिन्न फसलों की 346 उन्नत किस्में एवं पशुओं की दो नस्लें कृषक समुदाय के लिए सर्मपित हैं एवं राष्ट्र की खाद्य सुरक्षा एवं किसानों की आय बढ़ाने में सहायक रहीं हैं। विश्वविद्यालय द्वारा उत्पादित बीज ब्रान्ड “पन्तनगर के बीज” नाम से देश के किसानों के मध्य बेहद लोकप्रिय है। विश्वविद्यालय प्रत्येक वर्ष देश के लाखों किसानों को गुणवत्तापूर्ण बीज उपलब्ध करा रहा है।

पंतनगर विश्वविद्यालय एक राज्य कृषि विश्वविद्यालय है परन्तु इसका चरित्र एवं स्वभाव राष्ट्रीय एवं अर्तराष्ट्रीय स्तर का है। गर्व की बात है कि पिछले साल विश्वविद्यालय को विश्व क्यूएस रैंकिंग में 361वाँ स्थान मिला। यह देश के चुनिन्दा कृषि विश्वविद्यालयों में से एक है जिसे यह सम्मान प्राप्त है।

उन्होंने आगे कहा कि विश्वविद्यालय को अभी तक 29 पेटेन्टस की स्वीकृति मिली हैं और वर्ष 2015 से अब तक 105 पेटेन्टस के लिए आवेदन किया गया है। 76.4 करोड़ रुपये की लागत से 375 शोध परियोजनाएं विश्वविद्यालय में गतिशील है। 35 अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजनाओं, 08 अखिल भारतीय नेटवर्क परियोजनाओं के साथ-साथ 300 से अधिक अन्य परियोजनाओं को संचालित कर शोध कार्यों की दिशा में विश्वविद्यालय ने कीर्तिमान स्थापित किया है।

विश्वविद्यालय ने गतवर्ष लगभग 6500 कुन्तल विभिन्न फसलों के प्रजनक बीजों एवं विभिन्न फलों एवं अन्य पौधों के 40,800 उच्चगुणवत्ता की पौध का उत्पादन किया है। विश्वविद्यालय में 2000 किग्रा जैविक शहद का भी उत्पादन किया गया। विश्वविद्यालय प्रतिवर्ष 3.2 करोड़ से ज्यादा मत्स्य बीजों का उत्पादन करता है। विश्वविद्यालय द्वारा पिछले 05 वर्षों में 05 या अधिक NAAS रैंकिंग के 2000 से ज्यादा शोध प्रत्र प्रकाशित किये गए। पिछले 02 वर्षों में 11 स्टार्ट-अप प्रारम्भ किये गये और इनमें से 05 स्टार्ट-अप को उत्तराखण्ड स्टार्ट-अप परिषद् के द्वारा प्रोत्साहित किया गया है।

शोध निदेशालय द्वारा फरवरी माह में Global Food Security शीर्षक से एक अंतराष्ट्रीय कांफ्रेन्स का आयोजन कराया गया जिसमें 8 देशों से 300 से भी अधिक प्रतिभागियों द्वारा प्रतिभाग किया गया। पन्तनगर विश्वविद्यालय की अंतराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बढ़ाने के लिए Global Food Security Center की पन्तनगर में स्थापना हेतु भी विचार विमर्श किया गया। इसी वर्ष अप्रैल माह में विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय स्तर की एक वार्षिक मक्का कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें राष्ट्रीय स्तर के 200 से भी अधिक वैज्ञानिकों द्वारा सहभागिता की गयी।

इसके अतिरिक्त पन्तनगर विश्वविद्यालय द्वारा राज्य सरकार के ग्रामीण विकास विभाग के साथ मिलकर रीप (REAP) परियोजना के अंतर्गत 3 दिवसीय प्रशिक्षण क्लाइमेट स्मार्ट एग्रीकल्चर शीर्षक पर कराया गया जिसमें राज्य सरकार के 75 से भी अधिक अधिकारियों द्वारा प्रतिभाग किया गया।

 

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