प्रदेश अध्यक्ष ने सवा करोड़ राज्यवासियों की तरफ से इतिहास रचने वाले इस निर्णय पर मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व वाले समूचे सदन का आभार व्यक्त

देहरादून:- भाजपा ने विधानसभा से यूसीसी की मंजूरी को प्रत्येक देवभूमिवासी का सर गर्व से ऊंचा करने वाला बताया है। प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने सवा करोड़ राज्यवासियों की तरफ से इतिहास रचने वाले इस निर्णय पर मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व वाले समूचे सदन का आभार व्यक्त किया है। इस मुद्दे पर विपक्ष की राजनीति को उन्होंने छद्म धर्मनिरपेक्षता एवम समुदाय विशेष की तुष्टिकरण करने वाला बताया।

अलग अलग माध्यमों द्वारा मीडिया से हुए संवाद में भट्ट ने कहा कि एक राष्ट्र एक कानून व्यवस्था के मुद्दे पर आज उत्तराखंड ने इतिहास के पन्नों में अपना नाम दर्ज कराया है । उन्होंने कहा कि जिस तरह एक घर में दो कानून से घर नही चलाया जा सकता है, ठीक उसी तरह एक देश को दो कानून व्यवस्थाओं द्वारा सही से नही चलाया जा सकता है। यही वजह पार्टी की वैचारिक और सैद्धांतिक प्रतिबद्धता यूसीसी लागू करने की रही है। हम सभी बेहद सौभाग्यशाली हैं कि देवभूमि के लोगों को ऐतिहासिक शुरुआत करने का अवसर मिला है ।

कांग्रेस समेत विपक्ष के राजनैतिक विरोध पर पलटवार करते हुए उन्होंने कहा कि समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद प्रदेश में विवाह, तलाक, बच्चा गोद लेना, संपत्ति के बंटवारे से लेकर अन्‍य तमाम विषयों को लेकर सभी धर्मों के लिए एक समान कानून बन जाएगा। जो वसुधैव कुटुंबकम् के सिद्धांत और संविधान निर्माताओं के विचारों को आगे बढ़ाने वाला है। साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि जो आज समुदाय विशेष की तुष्टिकरण के कारण इसका विरोध कर रहे हैं, उनके पुराने वरिष्ठतम नेता इसका समर्थन करते रहे हैं। पूर्व पीएम पंडित नेहरू हों, सरदार पटेल , भीम राव अंबेडकर हों, 1985 तक मृत्युपर्यन्त इसका समर्थन करने वाले दो बार कार्यवाहक पीएम रहे गुलजारी लाल नंदा तथा 90 के दशक तक दोनों कम्युनिस्ट पार्टियां यूसीसी के पक्ष में थी। लेकिन तुष्टिकरण की नीति के चलते आज देश में प्रोग्रेसिव एवं समता मूलक समाज बनाने की इस ऐतिहासिक कोशिश का विरोध किया जा रहा है ।

उन्होंने गोवा को यूसीसी लागू करने वाला पहला राज्य बताने वालों को जवाब दिया कि गोवा 1961 में पुर्तगाल के शासन से आजाद हुआ था जहां पहले से ही पोर्च्युगीस सिविल कोड के तहत यह लागू था । गोवा को भारत में शामिल करने की एक शर्त में यह कानून को जारी रखना भी था, जिसे 1962 में सेक्शन 5(1) के तहत अनुमति दी गई । जबकि उत्तराखंड, आजाद भारत में किसी सरकार द्वारा यूसीसी लागू करने वाला पहला राज्य है । उन्होंने उम्मीद जताई कि शीघ्र ही समूचा देश एक समान कानून व्यवस्था के सूत्र में बंधा मिलेगा ।

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