देहरादून:- भाजपा ने इलेक्टोरोल बॉन्ड योजना पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का सम्मान करते हुए कांग्रेस को इस पर राजनीति न करने की सलाह दी है। प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कांग्रेस पर भ्रम फैलाने के आरोप लगाते हुए पलटवार किया कि भ्रष्टाचार की संभावना को लेकर न्यायालय ने कोई प्रतिकूल टिप्पणी नहीं की है, बल्कि आरटीआई एक्ट को लेकर आपत्ति जताते हुए अन्य विकल्पों पर विचार करने की बात कही है। साथ ही कहा कि आकंठ भ्रष्टाचार में डूबी कांग्रेस को विगत 5 वर्षों में इस चंदे से 1113 करोड़ लेने में कोई आपत्ति नही हुई, लेकिन आपत्ति अन्य पार्टियों को मिलने से है। इस मुद्दे पर आए उच्चतम न्यायालय के निर्णय पर विपक्ष की और से भ्रम फैलाए जाने पर आपत्ति करते हुए भट्ट ने कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड लाने के पीछे भाजपा की मंशा स्पष्ट थी कि चुनाव में इस्तेमाल होने वाले काले धन पर रोक लग सके ,जो चुनाव सुधार की दिशा में आगे बढ़ने के लिए भी बेहद जरूरी था । इसमें चूंकि सरकारी बैंक के माध्यम से इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए राजनैतिक पार्टियों को अधिकांश चंदा मिलता है । कोई भी इलेक्टोरल बॉन्ड सिर्फ बैंक से खरीद सकते हैं और नोटिफाइड पार्टियों के अकाउंट में ही डाल सकते हैं ।
ऐसे में पैसा बैंकों के जरिए ही ट्रांसफर होता है जो यह सुनिश्चित करता है कि केवल टैक्स देने के बाद ही पैसा पॉलिटिकल सिस्टम में आएगा। सरकार ने इसे 2018 में बाकायदा संसद के माध्यम से लागू किया था । जिसके तहत भाजपा ही नही, कांग्रेस, टीएमसी एवं अन्य पार्टियों को इलेक्टोरल चंदा मिलता रहा है । भट्ट ने स्पष्ट किया कि अब चूंकि इस मुद्दे पर शीर्ष अदालत का फैसला आ चुका है, लिहाजा सभी को इसका सम्मान करना चाहिए। लेकिन मुद्दाविहीन विपक्ष इस न्यायिक विषय का भी राजनीतिकरण कर रहा है। दरअसल उनके पास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और उनकी सरकार द्वारा किए गए सकारात्मक कार्यों का कोई विकल्प नहीं है। इन 5 वर्षों में कांग्रेस को भी लगभग 1113 करोड़ रुपए मिले हैं ,जो कुल चंदे का 9.33 फीसदी से अधिक है, जो देश में दूसरे नंबर पर है। लेकिन कांग्रेस को कभी दिक्कत नहीं हुई। दिक्कत इस बात से है कि अन्य पार्टियों को अधिक चंदा क्यों मिला है, विशेषकर भाजपा को। हालांकि कांग्रेस की राजनैतिक प्रभाव के अनुसार यह अन्य कई दलों से बेहद ज्यादा है ।