सेना को दुश्मन के साइबर हमलों से सुरक्षित रखने का बीड़ा आईआईटी कानपुर ने उठाया है। इसके लिए आईआईटी कानपुर स्थित सी3आई हब और सेंट्रल कमांड हेडक्वार्टर के बीच समझौता हुआ। लखनऊ में आयोजित कार्यक्रम में सेना की ओर से लेफ्टिनेंट जनरल मुकेश चड्ढा और आईआईटी के डीन रिसर्च प्रो. तरुण गुप्ता ने हस्ताक्षर किया।
अभी तक आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिक आधुनिक हथियार के मामले में सेना को आत्मनिर्भर बनाते आएं हैं। अब वैज्ञानिकों ने दुनिया के लिए चुनौती बन चुके साइबर हमलों से सेना को सुरक्षित करने की जिम्मेदारी ली है। संस्थान के निदेशक प्रो. मणींद्र अग्रवाल और वरिष्ठ साइबर विशेषज्ञ प्रो. संदीप शुक्ला की देखरेख में आईआईटी में स्थापित अत्याधुनिक कंप्यूटर लैब सी3आई हब में साइबर सुरक्षा से जुड़े अलग-अलग टूल विकसित किए जा रहे हैं। इसमें क्रिटिकल इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ रक्षा क्षेत्र से जुड़े उत्पाद व तकनीक को सुरक्षित रखने के लिए साइबर सुरक्षा सिस्टम विकसित किए जा रहे हैं।
सेना के अधिकारियों ने कुछ दिन पहले आईआईटी कानपुर का भ्रमण कर हथियारों के साथ ही साइबर सुरक्षा से जुड़ी जानकारी हासिल की थी। अब इस एमओयू के बाद संस्थान में विकसित अत्याधुनिक साइबर सुरक्षा टूल, सिस्टम, तकनीक व उत्पादों का प्रयोग कर सेना को सुरक्षा प्रदान की जाएगी। प्रो. मणींद्र अग्रवाल ने कहा कि आने वाले समय में साइबर हमले तेजी से होंगे, जिन्हें रोकने बेहद जरूरी होगा। इसे लेकर संस्थान में तेजी से काम चल रहा है। इस मौके पर मेजर जनरल शाबिह हैदर नकवी, कर्नल हिरेन बोराह, कर्नल सजल थापा, लेफ्टिनेंट कर्नल वैभव आप्टे, प्रो. संदीप शुक्ला समेत आईआईटी के विशेषज्ञों की टीम मौजूद रही।