‘फूलन देवी’ सियासत का ऐसा नाम है जिनकी मौत के 22 साल बाद भी अहमियत कम नहीं हुई है। निषाद पार्टी के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के विकास राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार संजय निषाद ने उनकी हत्या की सीबीाई जांच करवाने की मांग की है। 11 साल की उम्र से ही बागी तेवर दिखाने वाली और 38 साल की उम्र में गोली का शिकार हुईं फूलन देवी ने कुछ ही साल की सियासत में अपना नाम बना लिया। आइए जानते हैं उस ‘दस्यु रानी’ की कहानी जिसपर फिल्म बनी तो इसे देखकर लोगों के आंसू निकल आए।
10 अगस्त 1963 को यूपी के जालौन जिले के गोरहा गांव में एक गरीब परिवार में फूलन देवी का जन्म हुआ था। पिता का जब निधन हो गया तो फूलन के चाचा ने उनकी जमीन पर कब्जा कर लिया और हक जताना शुरू कर दिया। इसके बाद फूलन देवी छोटी सी उम्र में ही अपनी जमीन लेने पर अड़ गईं और खेत के बीचो बीच धरने पर बैठ गई। इसके बाद उनके परिवार के ही लोगों ने पिटाई की और उसका ध्यान देना बंद कर दिया। 11 साल की ही उम्र में जबरदस्ती फूलन की शादी 35 साल के पुत्तीलाल मल्लाह से कर दी गई। फूलन का पति बहुत ही क्रूर था। अकसर फूलन को पीटता था। आखिरकर एक दिन इस नरक से फूलन भाग निकलीं।
पति को छोड़ने के बाद जब फूलन अपने पैतृक गांव वापस गईं तो वहां उनको किसी ने भाव नहीं दिया। किसी ने अपनापन नहीं दिखाया। घरवाले भी अनाड़ियों जैसा व्यवहार करते थे। बात-बात पर हाथापाई होने लगती थी। एक दिन तंग आकर फूलन ने घर छोड़ दिया और बीहड़ों का रुख कर लिया। यहीं फूलन डकैतों की हत्थे चढ़ गईं और सरदार बाबू गुज्जर ने उन्हें अपने साथ रख लिया। कहीं और आसरा ना मिलने की वजह से यह फूलन की मजबूरी थी। वहां बाबू गुज्जर फूलन से रेप करता था और कैदियों की तरह रखता था।