हिमाचल प्रदेश में हाल ही में आई प्राकृतिक आपदा के चलते राज्य बिजली बोर्ड लिमिटेड को अब तक 155 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है। इससे पहले वर्ष 2023 में बोर्ड को करीब 1700 करोड़ रुपये की क्षति उठानी पड़ी थी, जिसमें से उसे राहत के रूप में केवल कुछ करोड़ रुपये ही प्राप्त हुए थे। पिछली आपदा से पूरी तरह उबर भी नहीं पाया बोर्ड अब एक बार फिर गंभीर संकट का सामना कर रहा है।
इस बार हुए नुकसान से राज्य का ट्रांसमिशन ढांचा बुरी तरह प्रभावित हुआ है। गौरतलब है कि यह आंकड़ा सिर्फ ट्रांसमिशन नेटवर्क से जुड़े नुकसान को दर्शाता है। बिजली उत्पादन में हुआ घाटा इससे अलग है। बिजली बोर्ड ने प्रदेश सरकार को पूरी स्थिति से अवगत कराते हुए केंद्र सरकार से मिलने वाली किसी भी आपदा राहत राशि में से अपना हिस्सा मांगा है।
शिमला जोन सबसे अधिक प्रभावित
बोर्ड को सबसे ज्यादा क्षति शिमला जोन में हुई है, जहां करीब 90 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। अन्य जोनों की बात करें तो कांगड़ा जोन को 4.4 करोड़ रुपये, मंडी जोन को 5.5 करोड़ रुपये, और हमीरपुर जोन को 2.5 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
अब तक कुल 326 बिजली ट्रांसफार्मर क्षतिग्रस्त हो चुके हैं, जिन्हें फिर से चालू करने में लंबा समय लग सकता है। हालांकि, विद्युत आपूर्ति की तात्कालिक बहाली के लिए अस्थायी उपाय किए गए हैं, परंतु इतनी बड़ी संख्या में ट्रांसफार्मरों को सुचारू करना एक बड़ी चुनौती है।
465 किमी ट्रांसमिशन लाइनों को नुकसान
ट्रांसमिशन नेटवर्क की बात करें तो 22 केवी एचटी लाइनों की 75 किलोमीटर लंबाई पूरी तरह क्षतिग्रस्त हुई है। वहीं, 11 केवी एचटी लाइनों की 465 किलोमीटर और एलटी लाइनों की 1073 किलोमीटर लंबाई में भी गड़बड़ी आई है। इन सभी लाइनों की मरम्मत का कार्य जारी है।
बिजली बोर्ड ने प्रदेश सरकार से 155 करोड़ रुपये की तत्काल राहत राशि की मांग की है, ताकि मरम्मत कार्यों को गति दी जा सके और बिजली आपूर्ति बहाल की जा सके।
बिजली उत्पादन परियोजनाएं भी ठप
आपदा के चलते राज्य की कई पावर प्रोजेक्ट्स ने भी उत्पादन बंद कर दिया है। सिल्ट जमा होने की वजह से उत्पादन बार-बार बाधित हो रहा है, जिससे करोड़ों रुपये का अतिरिक्त नुकसान हो रहा है। ऐसे में बिजली आपूर्ति बनाए रखने के लिए बोर्ड को बाहरी स्रोतों से बिजली खरीदनी पड़ रही है। पिछले कुछ दिनों से यही प्रक्रिया लगातार चल रही है।