देहरादून – उत्तराखंड में छात्रवृत्ति के नाम पर हुए बड़े पैमाने पर गबन के मामले को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गंभीरता से लिया है। राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल (NSP) पर पंजीकृत कई संस्थाओं द्वारा फर्जी दस्तावेजों के आधार पर छात्रवृत्ति राशि हड़पने के मामले में मुख्यमंत्री ने विशेष जांच टीम (SIT) के गठन के निर्देश दिए हैं।
92 संस्थाएं संदेह के घेरे में, 17 पर गबन की पुष्टि
प्रारंभिक जांच में पाया गया कि राज्य की 92 शिक्षण संस्थाएं – जिनमें कुछ मदरसे, संस्कृत विद्यालय और अन्य निजी संस्थान शामिल हैं – फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति प्राप्त कर रही थीं। दस्तावेजों में छात्रों की संख्या, आधार कार्ड और निवास प्रमाण पत्र जैसे अहम दस्तावेज भी जाली पाए गए हैं।
अब तक की जांच में 17 संस्थाओं पर गबन की पुष्टि हो चुकी है। इनमें ऊधमसिंह नगर स्थित सरस्वती शिशु मंदिर हाई स्कूल और रुद्रप्रयाग का वासुकेदार संस्कृत महाविद्यालय जैसे संस्थान भी शामिल हैं। इसके अलावा नैनीताल, हरिद्वार, चंपावत और अन्य जिलों की संस्थाएं भी जांच के दायरे में हैं।
अधिकारियों की भूमिका भी होगी जांच के दायरे में
मुख्यमंत्री धामी ने कहा है कि छात्रवृत्ति जैसी कल्याणकारी योजनाओं में लापरवाही या भ्रष्टाचार किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। SIT केवल शिक्षण संस्थाओं की भूमिका की जांच नहीं करेगी, बल्कि जिन शासकीय अधिकारियों की मिलीभगत या लापरवाही इस घोटाले में सामने आई है, उनकी भी विस्तृत जांच की जाएगी।