प्रधानमंत्री मोदी को भी पसंद आई नैनीताल की घोड़ा लाइब्रेरी पहल, मन की बात कार्यक्रम में किया जिक्र, तारीफों के बांधे पुल

देहरादून:- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी  ने आज अपने लोकप्रिय कार्यक्रम मन की बात के 105वें एपिसोड का संबोधन किया।  पीएम मोदी ने अपने इस कार्यक्रम में भारत को मिली चंद्रयान-3  की सफलता और जी-20 सम्मेलन जैसे महत्वपूर्ण उपलब्धियों का जिक्र किया साथ ही देश के अलग-अलग हिस्सों से सामने आई कुछ प्रेरक प्रयासों को भी देशवासियों के साथ साझा किया।

Exclusive: भारी बारिश के कारण पहाड़ों में बंद हुए स्कूल तो इस लाइब्रेरियन  ने शुरू कर दी घोड़ा लाइब्रेरी ताकि सीखते रहें बच्चे - this librarian starts  ghoda ...

पीएम नरेन्द्र मोदी ने अपने इस कार्यक्रम में आज उत्तराखंड के नैनीताल जिले के कुछ युवाओं के प्रयासों की जमकर सराहना की। प्रधानमंत्री मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में अपने संबोधन में कहा,

“मेरे परिवारजनों, हमारे देश में शिक्षा को हमेशा एक सेवा के रूप में देखा जाता है। मुझे उत्तराखंड के कुछ ऐसे युवाओं के बारे में पता चला है, जो, इसी भावना के साथ बच्चों की शिक्षा के लिए काम कर रहे हैं। नैनीताल जिले में कुछ युवाओं ने बच्चों के लिए अनोखी घोड़ा Library की शुरुआत की है। इस Library की सबसे बड़ी विशेषता यही है कि दुर्गम से दुर्गम इलाकों में भी इसके जरिए बच्चों तक पुस्तकें पहुंच रही हैं और इतना ही नहीं, ये सेवा, बिल्कुल निशुल्क है। अब तक इसके माध्यम से नैनीताल के 12 गांवों को Cover किया गया है। बच्चों की शिक्षा से जुड़े इस नेक काम में मदद करने के लिए स्थानीय लोग भी खूब आगे आ रहे हैं। इस घोड़ा Library के जरिए यह प्रयास किया जा रहा है, कि दूरदराज के गांवों में रहने वाले बच्चों को स्कूल की किताबों के अलावा ‘कविताएं’, ‘कहानियां’ और ‘नैतिक शिक्षा’ की किताबें भी पढ़ने का पूरा मौका मिले। ये अनोखी Library बच्चों को भी खूब भा रही है।”


घोड़ा लाइब्रेरी? 

घोड़ा लाइब्रेरी नैनीताल जिले के युवाओं की एक अनूठी पहल है। हिमोत्थान व संकल्प यूथ फाउंडेशन संस्था की मदद से घोड़े की पीठ पर चलती-फिरती लाइब्रेरी यानी घोड़ा लाइब्रेरी (Horse Library) शुरू की गई है। दूरस्थ गांव में जहां सड़क, संचार नेटवर्क व पढ़ाई के संसाधनों का अभाव है, वहां घोड़ा लाइब्रेरी पहुंच रही है।  बच्चों को साहित्य और नैतिक शिक्षा से जोड़ने के लिए यह मुहिम शुरू की गई। बाघिनी गांव से घोड़ा लाइब्रेरी शुरू हुई और आज यह लोगों की मदद से घोड़े की पीठ पर पुस्तकें लेकर जलना, तोक व आलेख गांव समेत करीब 14 अन्य गांवों में बच्चों तक शिक्षा की अलख पहुंचा रही है।

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